गुर्दे का दर्द गुर्दे से धीरे-धीरे मूत्र-प्रणाली तक फैल जाता है।
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यह आसन मूत्र-प्रणाली, गर्भाशय तथा जननेन्द्रिय स्रावों के लिए विशेष रूप से अच्छा होता है।
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इन दोनों मूत्र ग्रन्थियों के दोनों ओर एक-एक नली निकली होती है जिसे मूत्र-प्रणाली कहते हैं।
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ये हमारी मूत्र-प्रणाली का एक आवश्यक भाग हैं और ये इलेक्ट्रोलाइट नियंत्रण, अम्ल-क्षार संतुलन, व रक्तचाप नियंत्रण आदि जैसे होमियोस्टैटिक (
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ये हमारी मूत्र-प्रणाली का एक आवश्यक भाग हैं और ये इलेक्ट्रोलाइट नियंत्रण, अम्ल-क्षार संतुलन, व रक्तचाप नियंत्रण आदि जैसे समस्थिति (
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ये हमारी मूत्र-प्रणाली का एक आवश्यक भाग हैं और ये इलेक्ट्रोलाइट नियंत्रण, अम्ल-क्षार संतुलन, व रक्तचाप नियंत्रण आदि जैसे होमियोस्टैटिक (homeostatic) कार्य भी करते है.
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ये हमारी मूत्र-प्रणाली का एक आवश्यक भाग हैं और ये इलेक्ट्रोलाइट नियंत्रण, अम्ल-क्षार संतुलन, व रक्तचाप नियंत्रण आदि जैसे समस्थिति (homeostatic) कार्य भी करते है.
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गुर्दे पेट में होते हैं इसलिए इनका परीक्षण आसानी से नहीं किया जा सकता है और इनसे सम्बन्धित रोगों की पहचान करने के लिए मूत्र-प्रणाली को जानने की जरूरत होती है।