| 1. | मूत्रकृच्छ्र फोड़ों को नष्ट करता है ।
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| 2. | उन्होंने मूत्रकृच्छ्र रोग की चिकित्सा की तो दर्द ठीक हो गया।
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| 3. | रात्रि भर भीगने के पश्चात् प्रातः-काल जल निथार लें और सुजाक तथा मूत्रकृच्छ्र के रोगी को पिलायें ।
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| 4. | इसकी छाल का क्वाथ पीने से मूत्रकृच्छ्र (पेशाब) की जलन, पुराना सुजाक और हड्डी की जलन मिट जाती है ।
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| 5. | पीपल के घनसत्त्व वा अवलेह के शर्बत चन्दन वा बिजोरी के साथ दो रत्ती मात्रा में अनेक बार सेवन करने से सुजाक मूत्रकृच्छ्र दूर होगा ।
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