| 1. | ** गोभी के पंचांग का काढा पीने से मूत्राघात मिटता है।
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| 2. | पास और पेडू पर लेप करने से मूत्राघात दूर होता है।
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| 3. | वस्ति शूल-प्रमेह, अश्मरी एवं मूत्राघात आदि रोगों में यह शूल उत्पन्न होताहै.
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| 4. | 49 मूत्राघात (पेशाब के साथ धातु का जाना):-
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| 5. | क्षय, प्रमेह, बवासीर, पथरी, मूत्राघात इत्यादि रोगों में यह लाभदायक कहा गया है।
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| 6. | क्षय, प्रमेह, बवासीर, पथरी, मूत्राघात इत्यादि रोगों में यह लाभदायक कहा गया है।
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| 7. | मूत्राघात:-आक के दूध में बबूल की छाल का थोड़ा रस मिलाकर नाभि के आस
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| 8. | पेशाब में धातु का आना (मूत्राघात) रोग में मूली खाने से लाभ होता है।
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| 9. | मूत्राघात: पेशाब की रुकावट होने पर इसकी अंतरछाल को कूट-पीसकर 2 कप पानी में डालकर उबालें।
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| 10. | मूत्राघात: पेशाब की रुकावट होने पर इसकी अंतरछाल को कूट-पीसकर 2 कप पानी में डालकर उबालें।
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