मूर्वा के विषय मे कुछ और जानकारी भी देवे, यदि सम्भव हो तो।
3.
यथा राहु कृत वात दोष में भारंगी मूल, वच एवं मूर्वा नहीं डाल सकते।
4.
क्षत्रिय के लिए मूर्वा औषधि की धनुष की ताँत की तरह और वैश्य को सन की तीन
5.
मुंज के अलावा मूर्वा नामक एक वृक्षलता का भी उल्लेख है जिससे मेखला बनाई जाती थी ।
6.
मुंज के अलावा मूर्वा नामक एक वृक्षलता का भी उल्लेख है जिससे मेखला बनाई जाती थी ।
7.
स्पृका, मूर्वा, बंध्याकर्कोटी, असारक, शतवार, माचिका, कमल और गिलोय जिन्हे देवी, अंबिका, नारायणी, पद्यमिनी कहते हैं। ”
8.
पुनर्नवा की जड़ों, देवदारू तथा मूर्वा को मिलाकर 3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ देने से गर्भावस्था से उत्पन्न शोथ (सूजन) उतर जाती है।
9.
दवाएं:-स्प्रिका, मूर्वा, बन्ध्याक्र्कोटी, असारक, शतावर, माचिका, कमल, और गिलोय जिन्हें देवी अम्बिका, नारायणी, पद्मनी कहते हैं.
10.
ब्राह्मण ब्रह्मचारी के लिए कमर में पहनने को तीन तागे वाली मूँज की मौंजी (मेखला) बनानी चाहिए, क्षत्रिय के लिए मूर्वा औषधि की धनुष की ताँत की तरह और वैश्य को सन की तीन तागे वाली।