अधिकतर पराश्रयी जीवन व्यतीत करते हैं परंतु कभी-कभी मृतोपजीवी रूप से भी अपना भोजन प्राप्त करते हैं।
5.
यह एक मृतोपजीवी जीव है जो हरित लवक के अभाव के कारण अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं कर सकता है।
6.
मृतोपजीवी (saprophyte) कवक के कवकतंतु आधार के निकट संस्पर्श में आकर अपना भोजन अपने रेशों की दीवार से विसरण (diffusion) द्वारा प्राप्त करते हैं।
7.
मृतोपजीवी (saprophyte) के रूप में कवक या तो कार्बनिक पदार्थों, उत्सर्जित पदार्थ (waste product) या मृत ऊतकों को विश्लेषित करके भोजन प्राप्त करते हैं।
8.
मृतोपजीवी (saprophyte) कवक के कवकतंतु आधार के निकट संस्पर्श में आकर अपना भोजन अपने रेशों की दीवार से विसरण (diffusion) द्वारा प्राप्त करते हैं।
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मृतोपजीवी (saprophyte) के रूप में कवक या तो कार्बनिक पदार्थों, उत्सर्जित पदार्थ (waste product) या मृत ऊतकों को विश्लेषित करके भोजन प्राप्त करते हैं।
10.
(ठ) मृतोपजीवी अथवा भंगी कीट (साप्रॉफागस इंसेक्ट Saprophagous Insects)-अल्पपोषक तत्वोंवाले, अनुपयोगी पदार्थों का उपयोग करने में समर्थ, आहारनाल के अतिरिक्त, भंगीकीटों के स्वभाव में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होती।