वीन उन्माद करने वाली कामक्रीड़ा में चञ्चल, उज्ज्वल मेघ के सदृश अङ्गों से जो त्रिभङ्ग हो रहे हैं, मोरपुच्छ
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वीन उन्माद करने वाली कामक्रीड़ा में चञ्चल, उज्ज्वल मेघ के सदृश अङ्गों से जो त्रिभङ्ग हो रहे हैं, मोरपुच्छ एवं मणिमय कुण्डलधारी ब्रज की अबलाओं का नीविबन्धन शिथिल करने वाले मुख पर वंशीधारी श्रीहरि हृदय में स्फुरित हों ॥३.४१॥