इसी प्रशिक्षण के साथ मौनपालन की शिक्षा भी प्राप्त की।
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उन्होंने कहा कि मौनपालन, फूल उत्पादन में भी अपार संभावनाएं हैं।
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शौकिया तौर पर पिछले 4 से 5 वर्षों से मौनपालन हेतु वे तराई-भाबर के बिलासपुर, टांडा भी जाते हैं, खासकर सितम्बर माह में, जब इन इलाकों में लाई, सरसों, अरहर, यूकेलिप्टस के फूलों की बहुलता होती है।
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उन्होंने सर्दी में मौनपालन प्रबंधन करने हेतु मौनपालकों को सलाह दी है कि मौनवंशों का माइग्रेशन बी लोरा क्षेत्र में समय से कर देना चाहिए, जिससे मौनें, पूर्ण रूप से फूल खिलने तक प्रक्षेत्र से परिचित हो जायें।
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शौकिया तौर पर पिछले 4 से 5 वर्षों से मौनपालन हेतु वे तराई-भाबर के बिलासपुर, टांडा भी जाते हैं, खासकर सितम्बर माह में, जब इन इलाकों में लाई, सरसों, अरहर, यूकेलिप्टस के फूलों की बहुलता होती है।