योगवाही-जो द्रव्य पचते ही शरीर पर प्रभाव डालते हैं उन्हें योगवाही कहते हैं।
3.
वात दोष वात रूखा, सूक्ष्म, चंचल, शीतल, घाव भरने वाला, सूक्ष्म योगवाही और रजोगुण वाला होता है।
4.
वात रूखा, शीतल, सूक्ष्म, चंचल, हल्का, घाव भरने वाला, योगवाही और रजोगुण वाला है ।
5.
विष-जो द्रव्य विकाशी, व्ययायी, मदकारी, योगवाही, जीवन नाशक, आग्नेय गुणों से युक्त और कफ नाशक हों उन्हें विष कहते हैं।
6.
क्षयरोग को नष्ट करता है और सबसे खास बात यह है कि यह योगवाही है अर्थात जिसके साथ इसका योग हो, उसके समान गुण करने वाली है।
7.
शरीर के सभी अंगों के विकार नष्ट करता है, यह योग विभिन्न प्रकृति के घटक द्रव्यों से युक्त होने के कारण पौष्टिक, वाजीकारक, रसायन, बल्य, रक्त प्रसादक, कीटाणुनाशक, विष शामक व योगवाही है।
8.
शरीर के सभी अंगों के विकार नष्ट करता है, यह योग विभिन्न प्रकृति के घटक द्रव्यों से युक्त होने के कारण पौष्टिक, वाजीकारक, रसायन, बल्य, रक्त प्रसादक, कीटाणुनाशक, विष शामक व योगवाही है।
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शरीर के सभी अंगों के विकार नष्ट करता है, यह योग विभिन्न प्रकृति के घटक द्रव्यों से युक्त होने के कारण पौष्टिक, वाजीकारक, रसायन, बल्य, रक्त प्रसादक, कीटाणुनाशक, विष शामक व योगवाही है।