| 1. | इसके पश्चात् शास्त्रविधि से रंगपीठ बनाया जाए।
|
| 2. | प् र., रंगपीठ मुंबई, ''
|
| 3. | रंगपीठ के ऊपर ही, चार खंभों पर छत रखकर, मत्तवारणी बनाई जाती थी।
|
| 4. | रंगपीठ के ऊपर ही, चार खंभों पर छत रखकर, मत्तवारणी बनाई जाती थी।
|
| 5. | फिर भीतर की और रंगपीठ के ऊपर मंडप के लिए 10 खंभे खड़े किए जाएँ।
|
| 6. | त्र्यस्त्र नाट्यगृह तिकोना बनाना चाहिए और इसी त्रिकोण के बीच के कोने में रंगपीठ बनाना चाहिए।
|
| 7. | अगले आसन से एक एक हाथ उँचे उठे हुए हों जिससे रंगपीठ भली भाँति दिखाई दे सके।
|
| 8. | उस कोण से एक द्वार रंगपीठ पर प्रवेश करने के लिए बनाना चाहिए और दूसरा रंगपीठ के पीछे से।
|
| 9. | उस कोण से एक द्वार रंगपीठ पर प्रवेश करने के लिए बनाना चाहिए और दूसरा रंगपीठ के पीछे से।
|
| 10. | ये कक्ष्याएँ तीन होती थीं-रंगपीठ से लगी हुई बाह्य कक्ष्या, 2-नेपथ्यगृह से लगी हुई मध्य कक्ष्या।
|