युवा रंगकर्मियों को आधुनिक रंगबोध से परिचित कराया,
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जिससे उसकी रंगबोध की शक्ति साधारण व्यक्तियों के रंगबोध की शक्ति से कम होती है।
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जिससे उसकी रंगबोध की शक्ति साधारण व्यक्तियों के रंगबोध की शक्ति से कम होती है।
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जिससे उसकी रंगबोध की शक्ति साधारण व्यक्तियों के रंगबोध की शक्ति से कम होती है।
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जिससे उसकी रंगबोध की शक्ति साधारण व्यक्तियों के रंगबोध की शक्ति से कम होती है।
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जिन व्यक्तियों में तीन के स्थान पर दो या एक ही रंग द्वारा रंगबोध होता है, वे क्रमश: द्विवर्णक (
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कहते हैं जिनको सामान्य व्यक्तियों की तुलना में रंगबोध के लिए तीनों शुद्ध रंगों की विभिन्न अनुपात में आवश्यकता पड़ती है।
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इस तरह की उपमाएं कवि की नवीन दृष्टि की सूचक हैं जिनमें स्थानीय मालवी संस्कृति के रंगबोध की छाप दर्शित होती है।
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जिन व्यक्तियों में तीन के स्थान पर दो या एक ही रंग द्वारा रंगबोध होता है, वे क्रमश: द्विवर्णक (Dichromates) तथा एकवर्णक (Monochromates) कहलाते हैं।
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ऐसे व्यक्तियों की विकृत त्रिवर्णक (Anomalous Trichromats) कहते हैं जिनको सामान्य व्यक्तियों की तुलना में रंगबोध के लिए तीनों शुद्ध रंगों की विभिन्न अनुपात में आवश्यकता पड़ती है।