आह भरना, ठंडी सांस लेना, खेद करना, रञ्ज करना, आह से प्रकट करना
4.
तुम मेरे दिल से दिल्लगी करते थे! कितने रञ्ज की बात है!
5.
हिन्दी में भी “ ङ् ” का प्रयोग लगभग समाप्त हो चला है, “ ञ ” तथा “ ण ” का प्रयोग भी खात्मे की ओर है, अब हमें “ मयङ्क ” या “ रञ्ज ”, “ झण्डा ” या “ मन्दिर ” कम ही देखने को मिलते हैं ये सभी सीधे-सीधे बिन्दु सिर पर लेकर “ मयंक, रंज, झंडा और मंदिर ” बन गये हैं।
परिभाषा
अभिलाषा पूरी न होने पर मन में होनेवाला दुख:"नौकरी न मिलने पर वह विषाद से भर गया" पर्याय: विषाद, अवसाद, रंज,