दरअसल आपकी जो रागहीन दृष्टा की भूमिका बनती जा रही है वह चीजों में जीने की जगह उसको दूर बैठ कर देखने से बनती है.
4.
लिख डालें फिर नये सिरे से रँगे हुए पन्नों को धोकर निजी दायरों से बाहर हो रागहीन रागों में खोकर आमंत्रण स्वीकारें उठकर धूप-छाँव सी हरी डाल के।
5.
बाचें प्रकृति पुरूष की भाषा साथ-साथ पानी उछाल के लिख डालें फिर नए सिरे से रंगे हुए पन्नों को धोकर निजी दायरों से बाहर हो रागहीन रागों में खोकर आमंत्रण स्वीकारें उठकर धूप-छाँव-सी हरी डाल के