विश्व में जब राजतंत्रवाद की मान्यता थी, तब संधिप्रस्तावों का अनुमोदन स्वभावतया राजा द्वारा होता था।
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विश्व में जब राजतंत्रवाद की मान्यता थी, तब संधिप्रस्तावों का अनुमोदन स्वभावतया राजा द्वारा होता था।
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वे सोचते है जब \ “ दुकान \ ” चल रही है तो क्यों न इसी \ “ धंधे \ ” को आगे बढाया जाय! इसी सोच ने वंशवाद, भाई-भतीजावाद और राजतंत्रवाद को प्रोत्साहित किया है!