रायकृष्णदास वाक्य
उच्चारण: [ raayekrisendaas ]
उदाहरण वाक्य
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- अब रायकृष्णदास की प्रारंभिक शिक्षा का हाल सुनिये.
- लेखन शिविरों, हीरानन्द शास्त्री व्याख्यानों एवं रायकृष्णदास
- हिन्दी गद्य काव्य लेखन की प्रेरणा आपको रायकृष्णदास से मिली ।
- श्री रायकृष्णदास की कविताओं (व्रजभाषा और खडी बोली) का प्रथम संग्रह है।
- रायकृष्णदास जी भारत कला भवन, बनारस के संस्थापक निदेशक थे ।
- इस उल्लेख का विशेष महत्त्व है क्योंकि रायकृष्णदास की आरंभिक शिक्षा यहीं हुई.
- बहुत घनिष्ठता. यह चर्चा इसलिए कि उनके व्यक्तित्त्व का भी बहुत प्रभाव रायकृष्णदास पर पड़ा.
- वत्सल निधि ' के तत्त्वावधान में प्रतिवर्ष लेखन शिविरों, हीरानन्द शास्त्री व्याख्यानों एवं रायकृष्णदास व्याख्यानों का आयोजन।
- यह इसी तरह संभव था क्योंकि रायकृष्णदास रायकृष्णदास-जैसी शख़्सियतों को उनकी सभ्यता के परिप्रेक्ष्य में ही समझा जा सकता है.
- उन दिनों अज्ञेय जब भी काशी आते कला पारखी भारत कला भवन के संस्थापक रायकृष्णदास के यहां ही उनका ठहरना होता।
- रायकृष्णदास का मत है कि, 'वैचारिक स्तर पर प्रेमचंद वर्णाश्रम धर्म न मानते हों, लेकिन पठनीय सर्वग्राह्यता और जनमानस की इच्छा के प्रतिकूल कहानियों में विद्रोह नहीं किया।'
- नागरी प्रचारिणी पत्रिका में उनके जो शोध प्रधान ऐतिहासिक निबन्ध प्रकाशित हुए उन्हें पढकर इतिहासज्ञ डॉक्टर काशीप्रसाद जायसवाल ने श्री रायकृष्णदास के घर पर जाकर उनका हार्दिक अभिनंदन किया था.
- नागरी प्रचारिणी पत्रिका में उनके जो शोध प्रधान ऐतिहासिक निबन्ध प्रकाशित हुए उन्हें पढकर इतिहासज्ञ डॉक्टर काशीप्रसाद जायसवाल ने श्री रायकृष्णदास के घर पर जाकर उनका हार्दिक अभिनंदन किया था.
- इसका विशिष्ट उत्थान माखनलाल चतुर्वेदी, रायकृष्णदास, शांतिप्रिय द्विवेदी, आदि के हाथों हुआ और पूर्णता मिली डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी, डॉ. विद्यानिवास मिश्र और डॉ. कुबेरनाथ राय से ।
- महान कलावंत रायकृष्णदास के जीवन और कृतित्व पर उनके पुत्र और जाने मा ने कलाइतिहासकार राय आनंद कृष्ण के साथ की गयी यह बातचीत दरअसल रायकृष्णदास की जीवनी की तरह पढ़े जाने के लिये शुरू हुई थी.
- महान कलावंत रायकृष्णदास के जीवन और कृतित्व पर उनके पुत्र और जाने मा ने कलाइतिहासकार राय आनंद कृष्ण के साथ की गयी यह बातचीत दरअसल रायकृष्णदास की जीवनी की तरह पढ़े जाने के लिये शुरू हुई थी.
- सत्येंद्र, मैथिलीशरण गुप्त, हरिमाऊ उपाध्याय, शांतिप्रिय द्विवेदी, रायकृष्णदास, वृंदावनलाल वर्मा, वासुदेवशरण अग्रवाल, हरिवंशराय बच्चन, नंददुलारे वाजपेयी, विनय मोहन शर्मा, भगवानदास केला, कन्हैयालाल सहल और टीएन चतुर्वेदी आदि प्रशंसक रहे है।
- हिंदी साहित्य के तृतीय उत्थान में यद्यपि दो प्रतिनिधि कहानीकार प्रसाद और प्रेमचन्द माने जाते हैं किंतु इस में कोई संशय नहीं है कि सुदर्शन जी, शिवपूजनसहाय, रायकृष्णदास आदि के साथ साथ श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी विशेष रूप से प्रभृति प्रसिद्ध हैं।
- हिंदी साहित्य के तृतीय उत्थान में यद्यपि दो प्रतिनिधि कहानीकार प्रसाद और प्रेमचन्द माने जाते हैं किंतु इस में कोई संशय नहीं है कि सुदर्शन जी, शिवपूजनसहाय, रायकृष्णदास आदि के साथ साथ श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी विशेष रूप से प्रभृति प्रसिद्ध हैं।
- द्विवेदी युग के विशिष्ट साहित्यकारों-बाबू श्यामसुंदर दास, गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी, रायकृष्णदास, अम्बिका प्रसाद बाजपेयी, मुंशी देवी प्रसाद, आचार्य राम चन्द्र शुक्ल, महावीर प्रसाद द्विवेदी, कामता प्रसाद गुरु और मैथिलीशरण गुप्त आदि के साथ गुलेरी जी का पत्र-आदान-प्रदान था ।
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