मुख्य प्रेरणा और चिंता राष्ट्रता, समता और लोकतंत्र है।
2.
राष्ट्रता की प्रतिमाओ पर, लगा मकड़ी का जाला देखा है!
3.
उग्र राष्ट्रता अन्तर्राष्ट्रीयता में बाधक है।
4.
‘ धरोहर ' के अंतरगत सहेजे प्रो. रवींद्रनाथ श्रीवास्तव के लेख ' राष्ट्रीयता, राष्ट्रता और राष्ट्र भाषा हिंदी ' में भारत में हिंदी की संवैधानिक स्थिति को विश्व संदर्भ से तुलना कर स्पष्ट किया गया है।