पदार्थों ही की रुचिरता से और दूसरे उनके अन्य पदार्थों के सादृश्य से।
2.
की रुचिरता से तृप्त होने और बुद्धि व्यापार से क्लांत होकर रहस्य की छाया
3.
अर्थात् एक ग्रंथकार का भाव एक भाषा में उसी रुचिरता के साथ समझा जाय जैसा
4.
ब्रजभाषा के शब्दों का प्रयोग उनकी रचनाओं में बड़ी ही रुचिरता के साथ किया गया है।
5.
इसमें जो कुछ रुचिरता है, वह कहानी की है, वस्तु वर्णन, भाव व्यंजना आदि की नहीं है।
6.
' पल्लव ' के उपरांत ' गुंजन ' में हम पंतजी को जगत् और जीवन के प्रकृत क्षेत्र के भीतर और बढ़ते हुए पाते हैं, यद्यपि प्रत्यक्षबोध से अतृप्त होकर कल्पना की रुचिरता से तृप्त होने और बुद्धि व्यापार से क्लांत होकर रहस्य की छाया में विश्राम करने की प्रवृत्ति साथ ही साथ बनी हुई है।