(ग) श्वेत रुधिराणु का अभाव एवं न्यूनता होने पर (प्राथमिक एवं अनुगामी एग्रेन्यूलोसाइटोसिस में)।
3.
वाले हॅसियाकार रुधिराणु रोगी में हीमोग्लोबिन की रचना आक्सीजन वहन करने योग्य नहीं रहती
4.
मनुष्य के रक्त में निम्नलिखित तीन प्रकार की रुधिर कणिकाएँ या रुधिराणु पाई जाती हैं-
5.
मनुष्य के लाल रुधिराणु छोटे, चपटे गोल तथा दोनों ओर से बीच में दबे हुए होते हैं।
6.
ये मनुष्य तथा अन्य सभी कशेरुकी प्राणियों में ही पाई जाती हैं तथा 99 % रुधिर कणिकाएँ लाल रुधिराणु ही होते हैं।
7.
शरीर की सफाई-रक्त की श्वेत रुधिराणु मृत एवं टूटी-फूटी कोशिकाओं के कचरे व अन्य निरर्थक वस्तुओं का भक्षण करके इन्हें नष्ट करते हैं।
8.
रोगों से सुरक्षा-शरीर के किसी भी भाग पर हानिकारक जीवाणुओं, विषाणुओं व रोगाणुओं आदि का आक्रमण होते ही रुधिर के श्वेत रुधिराणु इनका भक्षण करके इन्हें नष्ट कर देते हैं।
9.
इनमें से रंजक हीनता, एल्केप्टोनूरिया, फिनाइलकीटोनूरिया, हॅसियाकार, रुधिराणु एनीमिया आदि के जीन वैसे तो अनुभावी होते हैं परन्तु दो अप्रभावी यदि एक साथ जोड़े में आ जाएं तो भयंकर रुप धारण कर लेते हैं।