मनोज रूपदा की एक कहानी कुछ साल पहले पढ़ी थी.... नाम याद नहीं आरहा...
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व्यक्ति की पहचान करने में सफलता तभी प्राप्त हो सकती है जब बॉयोमेट्रिक नमूने की तुलना डाटाबेस में रूपदा (टेम्पलेट) के साथ पूर्व निर्धारित सीमा के भीतर किया जाय.
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इसकी स्थापना १९५३ में भारत सरकार द्वारा यन्त्र उपकरण निर्माण उद्योग के रूप में की थी| इस समय कंपनी घड़ी, ट्रैक्टर, मुद्रण यन्त्र समूह, धातु अभिरूपण साँचे, रूपदा संचकन (
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सत्यापन-एक अभिग्रहीत बॉयोमेट्रिक को संग्रहित रूपदा (टेम्पलेट) के साथ एक से एक तुलना करके यह सत्यापित किया जा सकता है कि वह व्यक्ति विशेष जो वह होने का दावा कर रहा है, वह ठीक है या नहीं.