स्थान पर लक्षक पदों का व्यवहार आता है उसी प्रकार प्रस्तुत के स्थान पर
4.
काव्यशास्त्र के अंतर्गत शब्दशक्ति-प्रकरण में तीन प्रकार के शब्दों का उल्लेख है-वाचक, लक्षक एवं व्यंजक।
5.
भाषा के लक्षक और व्यंजक बल की सीमा कहाँ तक है, इसकी पूरी परख इन्हीं को थी।
6.
भाषा के लक्षक और व्यंजक बल की सीमा कहाँ तक है, इसकी पूरी परख इन्हीं को थी।
7.
चित्रभाषा शैली या प्रतीक पद्ध ति के अंतर्गत जिस प्रकार वाचक पदों के स्थान पर लक्षक पदों का व्यवहार आता है उसी प्रकार प्रस्तुत के स्थान पर उसकी व्यंजना करने वाले अप्रस्तुत चित्रों का विधान भी।
परिभाषा
वह उपकरण जो आँख को लक्ष्य पर केन्द्रित करता है:"घड़ीसाज तकनी पहन कर घड़ी बना रहा है" पर्याय: तकनी, दर्शा, दीदबान,