लसीकाभ ऊतकों में इस प्रकार की कोशिकाएं हमेशा बिखरी रहती है।
2.
प्लीहा लसीकाभ ऊतक से बनी एक चपटी दीर्घायताकार (oblong) बड़ी ग्रन्थि है।
3.
नासाग्रसनी में यूस्टेचियन नलियां आकर खुलती है तथा इनमें लसीकाभ ऊतक भी पाये जाते हैं।
4.
सारकॉइडोसिस-लिम्फोमा सिंड्रोम में, सारकॉइडोसिस के बाद ग़ैर हॉज्किन लिम्फोमा जैसे लसीकाभ ऊतक की वृद्धि से संबंधित विकारों का विकास देखा गया है.
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[42] सारकॉइडोसिस-लिम्फोमा सिंड्रोम में, सारकॉइडोसिस के बाद ग़ैर हॉज्किन लिम्फोमा जैसे लसीकाभ ऊतक की वृद्धि से संबंधित विकारों का विकास देखा गया है.
6.
ये लसीकाभ ऊतक गुच्छों के रूप में (बिना कैप्सूल के टॉन्सिल्स) छोटी आंत एवं एपेण्डिक्स (appendix) में पाये जाते हैं।
7.
क्लोनल डिलीशन सिद्धांत, बर्नेट द्वारा प्रस्तुत, जिसके अनुसार स्वतःप्रतिक्रियात्मक लसीकाभ कोशिकाएं व्यक्ति में प्रतिरक्षी तंत्र के विकास के समय नष्ट हो जाती है.
8.
लसीकाभ ऊतकों में रोगक्षमता पैदा करने वाले पदार्थों (immunizing substances) का निर्माण होता है, जो शरीर को रोगमुक्त रखने में सहायक होते हैं।
9.
क्लोनल डिलीशन सिद्धांत, बर्नेट द्वारा प्रस्तुत, जिसके अनुसार स्वतःप्रतिक्रियात्मक लसीकाभ कोशिकाएं व्यक्ति में प्रतिरक्षी तंत्र के विकास के समय नष्ट हो जाती है.
10.
नासाग्रसनी की पश्च भित्ति पर इसकी छत (roof) से लटके लसीकाभ ऊतक के उभार होते हैं जिन्हें फैरिन्जियल टॉन्सिल्स या एडीनॉइड्स (adenoids) कहते हैं।