ये नये जमाने के टुटपुजिये जूलियस और आगस्टस हैं लेकिन उनसे कई गुनी वासना रखते हैं, उन बेचारों की वासना तो महीनों के नाम बदल कर ही तुष्ट हो गई! इनकी चले तो लीपवर्ष की तर्ज पर हर साल कुछेक दिन बाबरी दिन के तौर पर अलग से जुड़वा दें, भले उसके कारण सूर्य पृथ्वी की गति गणित के सूत्र बदलने पड़ें!