चिंतन अपने चरम पर पहुंचकर शून्यता का लुआठा दिखा देता है,
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चिंतन अपने चरम पर पहुंचकर शून्यता का लुआठा दिखा देता है, तर्कों से घृणा हो रही-एक लंबी उबकाई सी.
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बाकी बेतरीन पंक्तियों को अनुराग जी चुन चुके हैं!.” जुआठा '' पर आप कुछ बोले नहीं, जैसे हमहीं को लुआठा दिखा दिए!...:)(समाप्त)
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बाकी बेतरीन पंक्तियों को अनुराग जी चुन चुके हैं!. '' जुआठा '' पर आप कुछ बोले नहीं, जैसे हमहीं को लुआठा दिखा दिए!...:) (समाप्त)
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आदत, जान गए हैं कि नहीं निभाए जा रहे नियत व्यापारबोरियत खूब समझती है अपनी वज़ह.मन, जुआठे के साथ नहीं लगा, पर चल रहा लगातार अटपट.चिंतन अपने चरम पर पहुंचकर शून्यता का लुआठा दिखा देता है,बहुत कुछ कह दिया आपने इस प्रस्तुति में, बेहतरीन ।
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-लाइट स्विच ऑन की, पाया की ना तो बिजली हिन्दुस्तान की खोज थी और ना वो बल्क, ट्यूब लाइट.-टॉयलेट मे जो कुछ था, शायद कुछ हिन्दुस्तान से शुरू नहीं हुआ था, जैसे * टूथ पेस्ट (दातून तो मैने भी की है काफ़ी दिन) * साबुन, पता नहीं! * शेविंग जेल, रेजर आदि, * टॉयलेट शीट और तरीका, खेत का खुला वातावरण और वो लुआठा मुझे कभी बुरा नहीं लगा हिन्दुस्तान में!!