| 1. | -आलोक पुराणिक का लेखांश, नवभारत टाइम्स से साभार
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| 2. | ↑ उपरोक्त लेखांश द ग्लोबल रिसरफेसिंग ऑन वीनस से लिया गया है
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| 3. | ↑ उपरोक्त लेखांश वोल्केनिस्म एण्ड टेक्टोनिक्स ऑन वीनस से लिया गया है |
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| 4. | सिंडीकेलिस्ट रेलवेमैन ' में प्रकाशित एक लेखांश के माध्यम से प्रस्तुत किया है-
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| 5. | सृजनशिल्पी पर जो लेखांश मैंने टिप्पणी के रूप में दिया था, वह असल में ‘
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| 6. | ↑ उपरोक्त लेखांश नासा की वेबसाइट के लेख वीनस: फेक्ट्स एण्ड फिगर्स से लिया गया है |
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| 7. | अफलातून दा, आपके द्वारा अनूदित महादेव जी के ये लेखांश हमारे समाज की कई परतें खोलते हैं।
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| 8. | -आलोक पुराणिक का लेखांश, नवभारत टाइम्स से साभार मैं इस घर को आग लगा दूंगा...
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| 9. | अफलातून दा, आपके द्वारा अनूदित महादेव जी के ये लेखांश हमारे समाज की कई परतें खोलते हैं।
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| 10. | -' दो पाटन के बीच में साबुत बचा है कोय ', वेबदुनिया पर मनीष शर्मा के लेखांश
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