| 1. | अतः अन्नप्राशन के लिए उसका लेह्य पदार्थ, स्थालीपाक बनाया जाता है।
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| 2. | चटनी-सौंठ-कढ़ी लेह्य दाल-भात भोज्य, लड्डू-पेड़ा, बरफी भक्ष्य और चना-परवल, मूंगफली चर्व्य हैं।
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| 3. | चटनी-सौंठ-कढ़ी लेह्य दाल-भात भोज्य, लड्डू-पेड़ा, बरफी भक्ष्य और चना-परवल, मूंगफली चर्व्य हैं।
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| 4. | ये चार प्रकार का होता है-खाद्य, स्वाद्य, लेह्य और पेय ।
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| 5. | अन्नप्राशन में उपर्युक्त लेह्य व्यंजन का विधान इसी दृष्टि से किया गया प्रतीत होता है।
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| 6. | चटनी-सौंठ-कढ़ी लेह्य दाल-भात भोज्य, लड्डू-पेड़ा, बरफी भक्ष्य और चना-परवल, मूंगफली चर्व्य हैं।
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| 7. | औउर बहुत मज़ा आइ यार ई सुनि क~ कि सौ पोस्ट लिखी लेह्य यार तू त.
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| 8. | शिशु को पेय से अन्न पर लाते समय लेह्य (चाटने योग्य) खीर दी जाती है ।।
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| 9. | सुश्रुत के अनुसार भोजन छः प्रकार के होते हैं-चूष्म, पेय, लेह्य, भोज्य, भक्ष्य और चर्व्य।
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| 10. | किन्तु कई हजार साल प्राचीन हमारे पौराणिक ग्रंथों में पक्वान्न, पायस, भक्ष्य, पेय, लेह्य आदि स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों का वर्णन मिलता है।
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