| 1. | उत्पादक, पालक, संहारक त्रिविध लोकात्मा भग्वान तीनों व्याहृतियों के अर्थ हैं।
|
| 2. | लोकात्मा, वेदात्मा एवं प्राणात्मा ये तीनों ही गायत्री के तीन पाद हैं।
|
| 3. | यतेमहि स्वराज्ये ' राज्य नहीं, स्वराज्य ही लोकात्मा को प्राणवायु प्रदान करता है।
|
| 4. | इसके लिए, लोकात्मा के फेसबुक पेज www.facebook.com/Lokatma.Art.India. पर भी देखा जा सकता है।
|
| 5. | लोकात्मा, ग्रामीण कला और कलाकारों के लिए एक निष्पक्ष व्यापार संगठन की तरफ से आम जनों को देहाती कला खजाना के शुभअवसर पर आमंत्रित किया जा रहा है।
|