जिनके लिए शहीद जैसा कोई शब्द क्यों नहीं, ऐसा प्लकार्ड लिए अभी गुज़रे थे स्वामी वर्ग-चैतन्य कीर्ति-आकांक्षी 1008
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धर्मा ऊप्स! तीनों में से कोई फ़ुक्कट में नहीं मरा, काम करते-करते मरा, जिनके लिए शहीद जैसा कोई शब्द क्यों नहीं, ऐसा प्लकार्ड लिए अभी गुज़रे थे स्वामी वर्ग-चैतन्य कीर्ति-आकांक्षी 1008 भुजंग की तरह मैं भी पूछ बैठा-शिवाकाशी का बचपना क्यों नहीं जाता...