| 1. | ब्राह्मणवाद के वर्णमूलक समाज वैचारिक स्तर पर आत्मवाद को आधार बनाता है।
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| 2. | उनका कहना है कि भक्ति के माध्यम से ' वर्णमूलक व पितृसत्तात्मक ' मूल्यों का प्रसार किया गया है।
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| 3. | ३ ४ जाहिर है कि भारत की वर्णमूलक संस्कृति ऐसे लोगों द्वारा लायी गयी है जिन्होंने संस्कृत के नियम-कानून बनाये हैं।
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| 4. | ऐसा प्रतीत होता है कि पनपते वर्ग / वर्णमूलक समाज में संघर्ष मुख्यतः सामाजिक श्रेष्ठता प्राप्त करने हेतु होते थे ;
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| 5. | आत्मवाद के वर्णमूलक सरोकार के वरक्स उसी दौर में बौद्धों का अनात्मवाद जनजातियों के दमन के खिलाफ समतामूलक सरोकारों के साथ सामने आ रहा था।
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