क्योंकि फेसबुक के मालिक मार्क जकर्बर्ग वर्णान्ध हैं।
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एक वाचन-वैकल्य वाले या वर्णान्ध व्यक्ति को, उदाहरण के लिए, “क्रिपल्ड” नहीं कहा जा सकता.)
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एक वाचन-वैकल्य वाले या वर्णान्ध व्यक्ति को, उदाहरण के लिए, “क्रिपल्ड” नहीं कहा जा सकता.)
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इसके साथ ही नेरुदा ने वर्णान्ध लोगों की आँखों में अँगुली डालकर यह भी दिखा दिया कि क्रान्ति का केवल एक ही रंग नहीं होता।
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११. आपने ध्यान दिया होगा कि फेसबुक का रंग हमेशा से नीला ही रहा है मालूम है क्यों? क्योंकि फेसबुक के मालिक मार्क जकर्बर्ग वर्णान्ध हैं।
6.
यह सत्य ही है कि मैं एक वर्णान्ध मनुष्य की तरह हूँ और लाली की मौजूदगी के बारे में मानव का विश्वास मेरी वर्तमान हानि को दुरुस्त करने के लिए कुछ भी सुबूत जुटा नहीं पाती है।