कृष्णमोहन-माधवी दी ' आपने अभी ‘ वर्षामंगल ' की चर्चा की है।
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मैंने ‘ वर्षामंगल ' ' तथा “ ऋतुरंग ” का ऐसे ही अनुवाद किया है।
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उन्होंने वर्षा ऋतु पर बहुत सारे गीत लिखे और भाष्य के साथ ‘ वर्षामंगल ' नामक धारा-भाष्य लिखा है।
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आप द्वारा अनूदित ‘ वर्षामंगल ' सहित कुछ अन्य कृतियों की मंच-प्रस्तुतियों में मैं भी सहभागी और साक्षी रहा हूँ।
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यहाँ थोड़ा विराम लेकर हम रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कालजयी रचना ‘ वर्षामंगल ' का एक ऋतु आधारित गीत अपने पाठकों / श्रोताओं को सुनवाते हैं।
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आशा जी का गाया वर्षामंगल गीत और स्वयं कवीन्द्र रवीन्द्र का स्वर... आहा... आनन्दम् … आनन्दम्... । हमारा उत्साहवर्द्धन करने के लिए लावण्या जी का एक बार पुनः आभार।