इसलिए वस्तिशोथ, सूजाक और पेशाब की जलन में यह बहुत ही उपयोगी होता है।
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सुजाक रोग, वस्तिशोथ (पेल्विक इन्फ़्लेमेशन) में भी गोखरु तुरंत अपना प्रभाव दिखाता है।
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सुजाक रोग और वस्तिशोथ (पेल्विक इन्फ्लेमेशन) में भी गोखरू तुरंत अपना प्रभाव दिखाता है ।
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यह मधुर, स्नेहक, मूत्रविरेचनीय, बाजीकर तथा शोथहर होने के कारण मूत्रकृच्छ्र, अश्मरी, प्रमेह, नपुंसकत्व, सुजाक, वस्तिशोथ तथा वातरोगों में लाभदायक माना जाता है।