रति भाव के जाग्रत होने पर भू-विक्षेप, कटाक्ष आदि प्रयत्न पूर्वक किये गये वाग्व्यापार वाचिक अनुभाव हैं।
2.
रति भाव के जाग्रत होने पर भू-विक्षेप, कटाक्ष आदि प्रयत्न पूर्वक किये गये वाग्व्यापार वाचिक अनुभाव हैं.
3.
रति भाव के जाग्रत होने पर भू-विक्षेप, कटाक्ष आदि प्रयत्न पूर्वक किये गये वाग्व्यापार वाचिक अनुभाव हैं।
4.
रति भाव के जाग्रत होने पर भू-विक्षेप, कटाक्ष आदि प्रयत्न पूर्वक किये गये वाग्व्यापार वाचिक अनुभाव हैं।
5.
इसी तरह भाषा अथवा शब्द के अर्थ में भी “देशी” शब्द का तात्पर्य उस प्राकृत वाग्व्यापार तथा उसकी निजी शब्दावली से है, जिसका प्रयोग जनसामान्य में पाया जाता है।