वास्तव में वादयुक्त मूल्य जीवन को संकुचित और वादरहित मूल्य जीवन को विराट बनाते हैं।
2.
मैं किसी वाद का समर्थन यहॉं नहीं कर रहा, पर क्या वादरहित समाज की कल्पना संभव है?
3.
मैं किसी वाद का समर्थन यहॉं नहीं कर रहा, पर क्या वादरहित समाज की कल्पना संभव है?
4.
माँ तुम मीठी हो गुझिया की मिठास और मेवामिश्र केसर खीर से ज् यादा प्रत् येक स् वादरहित तत्त् व अनुप्राणित है तुम् हारी मधुरता से।
5.
द्वितीय चरण में राज्य के ऐसे खास कवियों को भी यहाँ पढ़ने का अवसर मिल सकेगा जिन्हें पढ़कर वास्तव में उनके कवि सहित (वादरहित) इंसान होने का भी प्रमाण मिलता रहा है ।