इस मन्दिर के वायुकोण में श्रीराधागोविन्दजी का मन्दिर है।
2.
पास ही श्रीकृष्णकुण्ड के वायुकोण में श्रीश्यामानन्दप्रभु के आराध्यदेव श्रीश्यामसुन्दरजी का मन्दिर है ।
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पास ही श्रीकृष्ण कुण्ड के वायुकोण में श्रीश्यामानन्द प्रभु के आराध्यदेव श्रीश्यामसुन्दरजी का मन्दिर है।
4.
श्री मानस पावन घाट-श्यामकुण्ड के वायुकोण में स्थित यह घाट राधिका जी को अत्यन्त प्रिय है।
5.
इसी प्रकार श्रीराधाकुण्ड के वायुकोण में हीरा-पन्ना जवाहरात से निर्मित एक परम रमणीय स्थान है, जहाँ राधिका नित्य स्नान करती हैं ।
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इसी प्रकार श्रीराधाकुण्ड के वायुकोण में हीरा-पन्ना जवाहरात से निर्मित एक परम रमणीय स्थान है, जहाँ राधिका नित्य स्नान करती हैं।
7.
पश्चिम दिशा में लालमणिमय कमलाकार तुंगविद्यानन्द नामक तुर्गविद्या सखी कुञ्ज और वायुकोण में मरकत मणिविरचित कमलाकार सुदेवी जी का सुदेवीसुखद या आनन्द कुञ्ज तथा श्रीराधाकुण्ड के मध्य में चन्द्रकान्तमणि विरचित षोडश दलकमलाकार अनंगमंजरी-आनन्द कुञ्ज है, जिसे स्वानन्दसुखद कुञ्ज भी कहते हैं ।
8.
पश्चिम दिशा में लाल मणिमय कमलाकार तुंग विद्यानन्द नामक तुर्गविद्या सखी कुञ्ज और वायुकोण में मरकत मणिविरचित कमलाकार सुदेवीजी का सुदेवीसुखद या आनन्द कुञ्ज तथा श्रीराधाकुण्ड के मध्य में चन्द्रकान्तमणि विरचित षोडश दल कमलाकार अनंगमंजरी-आनन्द कुञ्ज है, जिसे स्वानन्दसुखद कुञ्ज भी कहते हैं।
9.
वैसे तो भगवान के जिस स्वरूप की पूजा करने से ही आपको सब फल मिल जाएँगे, यह शास्त्रों का कथन है फिर भी अगर आप एक से अधिक देवी-देवताओं का पूजन करना चाहें तो अपने पूजास्थल के बीच में गणेश, ईशान में विष्णु या उनके अवतार राम या कृष्ण, अग्निकोण में शिव, नैऋत्य कोण यानी दक्षिण-पश्चिम में सूर्य तथा वायुकोण यानी उत्तर-पश्चिम में देवी दुर्गा की स्थापना कीजिए।
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वैसे तो भगवान के जिस स्वरूप की पूजा करने से ही आपको सब फल मिल जाएँगे, यह शास्त्रों का कथन है फिर भी अगर आप एक से अधिक देवी-देवताओं का पूजन करना चाहें तो अपने पूजास्थल के बीच में गणेश, ईशान में विष्णु या उनके अवतार राम या कृष्ण, अग्निकोण में शिव, नैऋत्य कोण यानी दक्षिण-पश्चिम में सूर्य तथा वायुकोण यानी उत्तर-पश्चिम में देवी दुर्गा की स्थापना कीजिए।