यह योग का वास्तवीकरण है, परमात्मा की सर्वव्यापी शक्ति से एकाकारिता (आत्म साक्षात्कार) हो जाता है ।
2.
इसका विषय है “ संवेदनयुक्त न्यायपालिका के माध्यम से महिलाओं को विधिक सहायता एवं न्याय विवेचना से निर्णयन तक का वास्तवीकरण ” ।
3.
इस तरह कल्पना श्रम के अंतिम तथा मध्यवर्ती उत्पाद का एक मानसिक मॉडल पेश करके तथा उसके वास्तवीकरण में मदद देकर मनुष्य की सक्रियता के लिए मार्गदर्शक का कार्य करती है।
4.
प्रत्यक्ष की वस्तुपरकता तथाकथित वास्तवीकरण (realization) की क्रिया में, यानि बाह्य जगत से प्राप्त जानकारी को इस बाह्य जगत से संबद्ध (related) करने में व्यक्त होती है ।