में वस्तुओं के विक्रय-मूल्य पर राज्य का नियंत्रण अब अत्यंत
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विक्रय-मूल्य निर्धारित करने में स्वतंत्र है।
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क्या यह अजीब नहीं लगता कि खुले बाज़ार की अर्थ-व्यवस्था में विक्रय-मूल्य तो खुला हुआ है, लेकिन लागत-मूल्य की जानकारी गोपनीयता के गर्भ में कैद है, जबकि सूचना के अधिकार और पारदर्शिता के इस युग में हम यह दावा करते नहीं थकते कि हम एक खुले समाज में रहते हैं!