विजयध्वज स्वर्गीय बालचंददास उमेददास पटेल के हाथों लगाया गया।
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रथचक्र की धुरी घिसी रथ अनियंत्रित लडखडाया लडखडाया विजयध्वज श्लथ बन्ध कबरी का लिए निज हस्त को धुरी किए ली थाम ध्वजा धर्म की केकेयसुता दशरथप्रिया ने बस एक पल था, एक ही निर्णय मरण-अमरत्व का अस्तित्व की बाज़ी लगा की मानरक्षा सूर्यकुल की