आजादी के बाद हमारी कमाई वढ़नी चाहिये थी इसकी जगह जो कुछ हम पर था वह भी लुट गया और हम कर्जदार भी हो गये देश की आजादी के समय कुछ धन लगभग 25000 करोड़ रुपया हमारा विट्रेन पर बाकी था हमारे देश के नेता उसे भी खा गये और उससे कई गुना और कर्ज लेकर सटक गये तथा डकार भी न ली।