विद्यालय-भवन के बाहर अगल-बगल की छोटी-छोटी क्यारियों में कार्य करना भी हमारी शिक्षा का हिस्सा होता था ।
2.
विद्यालय-भवन के बाहर अगल-बगल की छोटी-छोटी क्यारियों में कार्य करना भी हमारी शिक्षा का हिस्सा होता था ।
3.
स्वामीजी विद्यालय की दशा सुधारने में जी-जान से जुट गए और उन्होंने इलाके से दान-संग्रह करके सन् 1935 तक, पहले के पांच कच्चे कमरों के स्थान पर मुख्य पक्का विद्यालय-भवन सरस्वती-मंदिर, औषधालय-रसायनशाला, पुस्तकालय-भवन और यज्ञशाला, व्यायामशाला, “ आर्यकुमार आश्रम ” छात्रावास और दो पक्के जलाशयों (कुण्डों) से युक्त सुन्दर शिक्षा-उपनिवेश खड़ा कर दिया।