| 1. | बाबूलाल जैसे विद्याहीन मनुष्य का ऐसे रत्न को
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| 2. | मैं माया से ‘नमः ' अर्थात् विद्याहीन हूँ।
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| 3. | मैं माया से ‘ नमः ' अर्थात् विद्याहीन हूँ।
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| 4. | न्न और विशाल कुल में उत्पन्न व्यक्ति भी विद्याहीन होने पर,
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| 5. | ) विद्याहीन को धन कहाँ? (विद्याहीन व्यक्ति धन नहीं कमा सकता।
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| 6. | ) विद्याहीन को धन कहाँ? (विद्याहीन व्यक्ति धन नहीं कमा सकता।
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| 7. | इस प्रकार वे विद्याहीन व साधनहीन रह जाते हैं, जिसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार हैं।
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| 8. | विद्याहीन मनुष्य कई मानों में निरर्थक जीवन जीता है यह बात मानी ही जाती है ।
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| 9. | इसलिए इसे अंधकारमयी, विद्याहीन, भावहीन, उत्साह हीन, नीच, निर्दयी, अभावग्रस्त माना जाता है।
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| 10. | (आलसी व्यक्ति विद्या प्राप्ति नहीं कर सकता।) विद्याहीन को धन कहाँ? (विद्याहीन व्यक्ति धन नहीं कमा सकता।) धनहीन को मित्र कहाँ?
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