| 1. | का तिरछा स्वर्णपत्र विद्युत्दर्शी विशेष उल्लेखनीय है।
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| 2. | ऐसे विद्युतदर्शी को संघारित्र विद्युत्दर्शी (
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| 3. | सन् १७८७ के पहले कई प्रकार के विद्युत्दर्शी बने जो मुख्यत:
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| 4. | कुछ विद्युत्दर्शी में पीतल की छड़ के नीचे वाले छोर पर दो स्वर्णपत्र लगे रहते हैं।
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| 5. | इस कारण विद्युत्दर्शी का प्रयोग बहुत होने लगा और अब कई सुधरे प्रकार के विद्युत्दर्शी बनने लगे हैं।
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| 6. | इस कारण विद्युत्दर्शी का प्रयोग बहुत होने लगा और अब कई सुधरे प्रकार के विद्युत्दर्शी बनने लगे हैं।
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