| 1. | क्षमाशील हो रिपु-समक्ष, तुम हुये विनत जितना ही
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| 2. | विनत होकर बाल ने स्वर में मधुरता ढाल।
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| 3. | सतत साधना, विनत वन्दना, पुण्य प्रार्थना-संध्या है माँ..
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| 4. | प्रभु स्वीकारों विनत प्रणाम।अवगुण प्रभु हैं अनगिन मेरे।
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| 5. | क्षमाशील हो रिपु-समक्ष तुम हुए विनत जितना ही,
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| 6. | हर बाधा हर शुभ करें, विनत नवाऊँ माथ..
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| 7. | कविता अपने अहम्-वहम का, शरद-पग में विनत
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| 8. | हर बाधा हर हर शुभ करें, विनत नवाऊँ माथ..
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| 9. | लज्जानत विनत वदन दशनों से दाब तर्जनी गयी सिहर।
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| 10. | चित्र-चित्र में गुप्त जो, उसको विनत प्रणाम।
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