बालक ध्रुव ने यह अपनी पूरी विनयता और विनम्रता से हासिल किया.
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बालक ध्रुव ने यह अपनी पूरी विनयता और विनम्रता से हासिल किया.
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रामदेई की विनयता, नम्रता, सदाचारिता, उद्योगतत् परता, ज्ञान की अभिरुचि, सादगी और रंजायमान करने का स् वभाव देखकर नर्मदा को ऐसा मालूम पड़ता था कि, यह कोई विचित्र ही स् त्री है, इसलिये वह निरंतर उसके सहवास में रहना ही पसंद करती थी, और पढ़ना लिखना तथा और हजारों बातें सीखा करती थी।