मूत्राशय कर्कट के कारणों में मूत्र अवरोधन, संक्रमण, विपुटी अश्मरी तथा ऐनिलीन, बेंजीडीन आदि रासायनिक रंजकों का आहार में प्रयोग भी होता है।
2.
(क) मूत्राशय बृहदांत (Vesico colic) तथा मलाशय मूत्राशय (Recto vesical) नासब्रण-यह जन्मजात, अस्त्र अथवा शस्त्र के उपघात से, आंत्र विपुटी के प्रदाह, प्रादेशिक आंत्र प्रदाह आदि रोगों से, अथवा मूत्राशय या आंत्र के अर्बुदों से हो सकता है।
3.
ध्यान: जिसमे भगवान् के स्वरुप ही प्रतीति होती है, ऎसी अन्य वस्तुओ की इच्छा से रहित ध्येयाकार चित की एक अनवरत धारा है / उसी को ध्यान कहते है / वह अपने पूर्व यम-नियम आदि छ: अंगो से निष्पन्न होता है / यह ध्येय पदार्थ का ही जो मन के द्वारा सिद्ध होने योग्य कल्पनाहीन (ध्याता, ध्येय और ध्यान की विपुटी से रहित) स्वरुप ग्रहण किया जाता है / उसे ही समाधि कहते है /