दु: ख निवृत्ति की परंपरा में पहले शील के द्वारा कर्म का विशोधन होता है, फिर समाधि अथवा भावना के द्वारा क्लेशप्रहाण, और फिर प्रज्ञा अथवा साक्षात्कार के द्वारा अविद्या का अपाकरण।
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विपश्यना विशोधन विन्यास ने स्वास्थ्य, शिक्षा, मादक पदार्थों का सेवन तथा संस्थानों की प्रबन्ध-व्यवस्था जैसे क्षेत्रों में विपश्यना के गुणात्मक प्रभाव के बारे में अन्य उदाहरणों का भी संकलन किया है।
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विपश्यना विशोधन विन्यास ने स्वास्थ्य, शिक्षा, मादक पदार्थों का सेवन तथा संस्थानों की प्रबन्ध-व्यवस्था जैसे क्षेत्रों में विपश्यना के गुणात्मक प्रभाव के बारे में अन्य उदाहरणों का भी संकलन किया है ।
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5. ईष्ट देवता बहिर्याग पूजन: अपने शरीर को देव-भाव से अभिभूत कर ईष्ट देवता को बाहर लाकर उसका पूजन करने के लिए पूजन द्रव्यों का मंत्रों से शोधन कर, एक विशेष क्रिया द्वारा अपने सम्मुख स्थापित यंत्र राज देवता: ' श्रीयंत्र' में देवता-आह्वान कर मंत्र द्वारा संस्कार कर उसका विशोधन करता है।