सार्त्र ' राजनीति और साहित्य' पुस्तक में 'क्रान्ति और बुद्दिजीवी' शीर्षक लेख में बुद्धिजीवी को विश्वनागरिक मानते हुएउसकी क्रान्तिकारी भूमिका का उल्ललेख करते हैं, पर साथ ही समय के अन्तर्विरोधों काभी.
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मैला आंचल की आंचलिकता इस समग्र मानवीय अवस्थिति की गहराई पर (जो विश्वनागरिक के रूप में प्रभावशाली देशों की कुछ ऊपरी जीवन-शैली, रीतियों तथा सतही गुणों की नकल से ‘