कवि जग-जीवन की विषण्णता पर शोक प्रकट करता हुआ कहता हैः
4.
तन-मन पर एक विषण्णता, एक अजीब सी विरक्ति छा गई थी ।
5.
.. 'यें ही चुहल करने के साथ-साथ उसकीरूप-सुधा व अमृत-स्पर्श का पान करने के साथ-साथ उसकी विषण्णता पर भी सोचता रहा.
6.
' शेष स्मृतियाँ' में अधिकतर जीवन का भोग पक्ष विवृत है यह विवृति सुख सौन्दर्य की अस्थिरता की भावना को विषण्णता प्रदान करती दिखाई पड़ती है।
7.
ऐसे मामलों में उसे अपनी विषण्णता (despondency), उदासी का वास्तविक कारण मालूम करने और यदि संभव हो, तो उस कारण को ख़त्म करने का प्रयत्न करना चाहिए।
8.
कवि जग-जीवन की विषण्णता पर शोक प्रकट करता हुआ कहता हैः शव को दें हम रूप-रंग आदर मानव का? मानव को हम कुत्सित चित्र बना दें शव का?अपनी एस सौंदर्य-दृष्टि के संबंध में स्वयं कवि पंत ने कहा है, “
9.
[14] दूसरे लक्षणों में शामिल हैं मनुष्य की तार्किकता में विकृति जो उसे जानवर बना देता है, विषण्णता, मृत्यु का गतिवर्धन (मार्क 9: 18 [आत्महत्या की कोशिशें]), तथा अन्य अतिप्राकृतिक घटनाएं.
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कवि जग-जीवन की विषण्णता पर शोक प्रकट करता हुआ कहता हैः शव को दें हम रूप-रंग आदर मानव का? मानव को हम कुत्सित चित्र बना दें शव का? अपनी एस सौंदर्य-दृष्टि के संबंध में स्वयं कवि पंत ने कहा है, “