अनुष्ठान में वृक्ष-पूजा जैसी प्राचीन आदिवासी पूजा का सहारा
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इसी अंचल की आदिम वृक्ष-पूजा से मानना अधिक उचित है।
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(ज) वृक्ष-पूजा: विधि-विधान: वृक्ष-पूजा के विधि-विधानों में कर्मकांड के प्राचीन अव शेष विद्यमान हैं।
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(ज) वृक्ष-पूजा: विधि-विधान: वृक्ष-पूजा के विधि-विधानों में कर्मकांड के प्राचीन अव शेष विद्यमान हैं।
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वृक्ष देवतत्त्व के आनुष्ठानिक सामग्री के रुप में पर्यवसित होने की भी एक कहानी है, जिसे वृक्ष-पूजा के इतिहास के साथ कहा-सुना जा सकता है।
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इन भिन्नताओं के आधार पर डॉ. मुखर्जी के अनुसार वहां पर दो प्रकार की वृक्ष-पूजा प्रचलित थी-एक वृक्ष की पूजा तथा दूसरे वृक्ष अधिदेवता की पूजा।
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दूसरी ओर, वह भूत-प्रेत इत्यादि श्मशानचर विभीषिकाओं को, और सर्प-पूजा, वृषभ-पूजा, लिंग-पूजा और वृक्ष-पूजा को आत्मसात करते हुए समाज के अंतर्गत अनार्यों की सारी तामसिक उपासना को आश्रय देता है।