अणवः व्यक्तिवाद / व्यष्टिवाद जो हमें ईश्वर से अलग करता है।
2.
' समष्टिवाद ' के स्थान पर ' व्यष्टिवाद ' को बढ़ावा देंगे तो ऐसे ही होता रहेगा।
3.
मूल रूप से भारतीय संस्कृति समष्टिवादी है, परंतु यहां हम देख रहे हैं कि अब देश में व्यष्टिवाद बढ़ता जा रहा है।
4.
भारत केसंयुक्त परिवार समष्टिवाद के प्रतीक हैं, व्यष्टिवाद के नहीं किन्तुपाश्चात्य सम्पर्क और वर्तमान शिक्षा प्रणाली के कारण देश की नई पीढ़ीमें भौतिकवादी तथा व्यक्तिवादी विचारधाराएँ अधिकाधिक पनप रही हैं.
5.
शीशे की तरह चमकता हुआ साफ़ है कि वैदिक संस्कृति हमें जन पर आधारित अर्थात समष्टिवादी बना रही है जबकि आज हमारे यहाँ व्यष्टिवाद हावी है जो पश्चिम के साम्राज्यवाद की देन है.