और न ही परिभाषा अथवास्वरूप-निर्धारण करते समय व्याख्यापेक्षी शब्दावली का प्रयोग किया जाना चाहिएक्योंकि सही अर्थ के अभाव में अनर्थ की सम्भावना रहती है.
2.
अतः कोई भी ऐसी व्याख्या जो अपने को व्याख्यापेक्षी तथ्य के शेषांश से संगत बनाने के निमित्त उस तथ्य के एक अंश को नष्ट कर देती है, कदापि वैज्ञानिक नहीं हो सकती, वह और जो भी हो ।
3.
अतः कोई भी ऐसी व्याख्या जो अपने को व्याख्यापेक्षी तथ्य के शेषांश से संगत बनाने के निमित्त उस तथ्य के एक अंश को नष्ट कर देती है, कदापि वैज्ञानिक नहीं हो सकती, वह और जो भी हो ।