| 1. | विशेष भाव या व्यापक व्याप्य संबंध होना चाहिए।
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| 2. | शिंशपात्व व्याप्य है और वृक्षत्व व्यापक है।
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| 3. | धाम, सर्वव्यापक एवं व्याप्य (सर्वरूप) अखण्ड, अनन्त, सम्पूर्ण अमोघशक्ति
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| 4. | अनुमान व्याप्य ज्ञान पर आश्रित ज्ञान है।
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| 5. | प्रकृति व्याप्य और परमात्मा व्यापक है।
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| 6. | अनुमान, व्यापक से व्याप्य का तक
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| 7. | व्याप्य का सम्बन्ध भी एक विशिष्ट प्रकार का है ।
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| 8. | बहिश्च तत सर्वत्र सर्वम् व्याप्य नारायण स्थिता।“ ”वह अन्दर बाहर सर्वत्र हैं”
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| 9. | व्याप्य पदार्थ को आपादक और व्यापक पदार्थ को आपाद्य कहा जाता है।
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| 10. | जैसे-शब्द में नित्यत्व रूप साध्य के अभाव अनित्य के व्याप्य “जन्यत्व” का संबंध।
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